बड़े ही शानो-शौकत से जुलूस-ए गौसिया निकाला गया

रिपोर्ट – सुहेल खान

उतरौला (बलरामपुर) हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां (बड़े पीर ) की यौमे पैदाइश ‘ग्यारहवीं शरीफ’ के मौके पर शनिवार को जुलूस ए गौसिया कमेटी के निसार नकी शाह, इजहार शाह व अंजुमन गुलामाने मुस्तफा दरगाह शाहजहानी कमेटी सदर सलमान जमशेद व इस्माइल के ज़ेरे कयादत एवं मुफ्ती जमील अहमद खान की सरपरस्ती में शाहजहानी शाह दरगाह से दोपहर बाद बड़े ही शानो-शौकत से जुलूस-ए गौसिया निकाला गया। इस्लामी लिबास कुर्ता पाजामा पहने सिर पर साफा टोपी, व हाथों में मज़हबी झंडा लिए “गौस का दामन नहीं छोड़ेगें, नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर, हिन्दुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हुए अकीदतमंदों का काफिला आगे बढ़ा। रहीम रज़ा बलरामपुरी, मास्टर शबी अहमद शब्बू ,एवं अन्य कई नातिया शायर का नात सुनकर जुलूस में शामिल अकीदतमंद झूम उठे। जुलूस शाहजहानी दरगाह से हाटन रोड,जामा मस्जिद, गोण्डा मोड़ से सीधे कर्बला पहुंचा जहां क्रमवार मौलाना आसिफ रज़ा जियाई, एवं मौलाना गुलाम अहमद रज़ा व मौलाना अता मोहम्मद ने खिताब फरमाते हुए कहा कि आज हम अपने अकाबिर’औलिया-ए-किराम’ और बुजुर्गाने दीन यहां तक कि पैगंबर-ए-आजम के तरीके और वाकयात को सुनकर खुश हो लेते हैं। लेकिन अपनी जिंदगियों में उसे छोड़ रखा है। और यह समझ लिया है कि, यह सारी चीजें सिर्फ सुनाने के लिए हैं। अगर हम और आप हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। तो इनके बताए हुए रास्ते पर चलें।इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। अहकाम-ए-शरीयत का पालन कीजिए, जिंदगी संवर जायेगी। जुलूस करबला से वापस गोंडा मोड़ से अंबेडकर चौराहा पहुंचा। वहां से रज़ा मस्जिद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा,होते हुए चांद मस्जिद पर रुका। जहां मौलाना ने गौस पाक के करामातों पर रोशनी डाली। जुलूस आगे बढ़कर हाटन रोड से होता हुआ वापस शाहजहानी शाह की दरगाह पर पहुंचा जहां मुफ्ती मोहम्मद जमील खान ने हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की तालीम पर रोशनी डालते हुए कहा कि गौस पाक का मर्तबा बलंद है। मां के शिकम (पेट) में ही उन्होंने कुरान को कंठस्थ कर लिया था। मां जब कुरान की तिलावत करती, वे याद करते थे। जब मां नेक होगी तभी बेटा हज़रत गौस पाक जैसा होगा। हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम बादशाहों के जरिए नहीं आया बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफियों के जरिए आया है। सलातो सलाम के बाद बिमार, परेशान, गरीब, यतीम, बेवा, मज़लूम, बेसहारा,लाचार एवं मुल्क की तरक्की, खुशहाली,आपसी भाईचारा, प्रेम, सौहार्द की दुआ करने के बाद जुलूस का समापन किया गया। इस दौरान इज़हार शाह, हाफिज अब्दुल दैयान हशमती, जमील अहमद, एहसान बाबा, मोहम्मद तालीम अली, चांद मस्जिद के सदर अली हुसैन, मोहम्मद मसी, तस्सु खान, इस्माइल, आमिर निजाम, मेराज अहमद, मौलाना शोएब, तूफेल, रिजवान अहमद, जिलानी सहित सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंद जुलूस में शामिल रहे।

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